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खुदी को कर बुलंद इतना ……- Jagran Junction Forum

रंगा सियार
रंगा सियार
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शेर: अमेरिका द्वारा ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में बिना अनुमति के घुस कर मारे जाने के बाद हमारा भी खून उबाल मार रहा है. हमें भी अपने देश पर हो रहे बार-बार आतंकी हमलों की जड़ यानी पाकिस्तानी आतंकी कैंप पर हमला कर देना चाहिए.
रंगा सियार: अमेरिका और भारत की परिस्थितियां अलग हैं. पाकिस्तान हमारा पड़ोसी है, अमेरिका का नहीं. अमेरिकी इतिहास में यह कभी नहीं हुआ कि उसने अपने पड़ोसी देश कनाडा या मैक्सिको के भीतर घुस कर ऐसी कार्यवाई की हो. और ना ही आगे करेगा, ऐसा मैं सोचता हूं, चाहे परिस्थितियां ओसामा जैसी ही उत्पन्न क्यूं न हों.

शेर: तो क्या हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें? कायर की तरह लोगों को बेमौत मरते देखें?
रंगा सियार: मैंने ऐसा कभी नहीं कहा और ना ही मैं कायरों को इज्जत देता हूं. मेरा कहना है कि अमेरिका कोई गडरिया नहीं है और भारत कोई भेड़ नहीं. भारत को अपनी रणनीति बनानी चाहिए.

हाथी: अगर हम हमला नहीं करेंगे तो आतंकवाद खत्म कैसे होगा?
रंगा सियार: मकसद हमला करना है? या आतंकवाद को खत्म करना है? या अपने प्यारों को आतंक की बलि चढ़ने से बचाना है? यह बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए.

हिरण, खरगोश, बकरी, पक्षी एक साथ: हमें अपने प्यारों के साथ सुख-शांति से जीना है. अपनों के खोने का गम हमें और बर्दाश्त नहीं.
रंगा सियार: मैं आप सभी की बातों से इत्तेफ़ाक रखता हूं. आतंकवाद को खत्म करना एक वैश्विक प्रक्रिया है. जबकि देश को आतंक से मुक्त करना एक क्षेत्रीय प्रक्रिया. क्षेत्रीय प्रक्रिया से गुजरते हुए ही वैश्विक प्रक्रिया में प्रवेश करना उचित है. वर्ना पाकिस्तान जैसे हालात उत्पन्न होते देर नहीं लगती. इसी कारण मैंने भारत को अपनी रणनीति बनाने पर बल दिया.

भालू: तो आपकी नजर में क्या होनी चाहिए भारत की क्षेत्रीय रणनीति जो आगे चल कर हमारी वैश्विक रणनीति को आधार प्रदान करे? क्योंकि मैं यह मानने को तैयार नहीं कि अन्य जगह की क्रांति आपके घर की शांति को भंग नहीं करती.
रंगा सियार: अन्य जगह की क्रांति और अपने घर की शांति में गहरा अंतर्संबंध है, इसमें मुझे कोई संदेह नहीं. यहां मैं आपसे सहमत हूं. परन्तु अपने घर में शांति के बगैर बाहरी क्रांति में भेड़चाल के कारण कूद पड़ने में भी बुद्धिमानी नहीं दिखती. इसीलिए मैंने पाकिस्तान का उदाहरण दिया. जहां तक भारतीय रणनीति का सवाल है तो मैं इसे भौगोलिक, वित्तीय व राजनीतिक स्तर पर देखता हूं.
• भौगोलिक रणनीति: भारतीय थल सीमा को एक-एक किलोमीटर की दूरी पर दो स्तरों पर कंटीले तार से घेरा जाना, निगरानी हेतु हर एक किलोमीटर पर चेकपोस्ट का निर्माण. जल सीमा को पांच-पांच नॉटिकल माइल की दूरी पर लाईट हाउसों से सुसज्जित करना, निगरानी हेतु छोटे व द्रुत पोतों की श्रृंखला बनाना. वायु सीमा की रक्षा हेतु तय वायु मार्गों की निगरानी के लिए त्वरित वायु रक्षा बल का गठन करना.

उल्लू: आपकी रणनीति तो बहुत लंबी-चौड़ी है, इसमें खर्चा भी बहुत ज्यादा आएगा? और इसकी क्या गारंटी है कि जब अमेरिका जैसे देश में 9/11 जैसी घटना हो सकती है, तो हमारे देश में आपके सुझावों और उपायों के बावजूद ऐसी आतंकी घटना नहीं होगी?
रंगा सियार: आपके दोनों प्रश्नों से सहमत हूं और इन्हीं दोनों के उत्तर में वित्तीय व राजनीतिक इच्छाशक्ति छुपी है. पहला प्रश्न कि खर्चा बहुत आएगा, तो भारत को उसकी चिंता नहीं करनी चाहिए. दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल, दिल्ली व अन्य बड़े शहरों में मेट्रो रेल, दिल्ली व राज्य की राजधानियों में 20-22 घंटों की बिजली आपूर्ति. ये कुछ ऐसे उदहारण हैं जो इशारा करते हैं कि अब गुजरात, केरल व अन्य तटीय सीमा, राजस्थान, कश्मीर, नेपाल व बांग्लादेश से सटे थल सीमा पर भी राष्ट्र द्वारा सार्थक वित्तीय निर्वहन हो. भारतीय सीमा से सटे भूभाग और वहां के निवासी भी हमारे देश के नागरिक हैं. तो यह कहना कि उस भूभाग पर आधारभूत संरचना वित्तीय बोझ है, यह अपने आप में राष्ट्रद्रोह है.

अपने देश में आतंकवाद की रीढ़ तोड़नी है तो राष्ट्र पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ से ज्यादा आतंकी नेटवर्क की वित्तीय संरचना को तोड़ना होगा. देश से बाहर जाने और बाहर से भारत आने वाले पैसे के हर ट्रांजेक्शन को आरबीआई की विशेष शाखा के माध्यम के तहत स्वीकृति प्रदान करना अनिवार्य बनाया जाए. साथ ही उसे इतना अधिकार दिया जाए की किसी भी तरह की गडबड़ी की शंका होने पर उस ट्रांजेक्शन को तुरंत रोक दिया जाए. इस तरह हवाला से आने वाला पैसा किसी भी बैंक के माध्यम से आने से पहले आरबीआई की प्रक्रिया से गुजरेगी और उस पर अंकुश लगेगा.

जहां तक इन सबके बावजूद आतंकी घटना का सवाल है तो उसके लिए आपको-हमको और सभी देशवासियों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए. और यही हमारी वैश्विक रणनीति का आधार तैयार करेगी. अभी उन्माद में आकार पाकिस्तान के आतंकी शिविरों पर हमले के लिए शायद हमारी सेना तैयार हो, पर हमारे नागरिक तैयार नहीं हैं. वैश्विक रणनीति के तहत हमारे नागरिकों को वियतनाम से सबक सीखते हुए तैयार रहना होगा. सिर्फ सैनिकों की लहू के बजाए अपने लहू की कुर्बानी देने के लिए तैयार रहना होगा. तब पाकिस्तान क्या विश्व के किसी भी देश के आतंकी शिविर को तबाह करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति तैयार होगी.

शेर: इसमें तो बहुत समय लग जाएगा. तब तक क्या….
रंगा सियार: नागरिकों की दृढ़ इच्छाशक्ति हमारी सुस्त व ढुलमुल राजनीतिक इच्छाशक्ति पर हावी होनी चाहिए. अगर ऐसा हो गया तो एक दशक के लगभग समय में भारत अपनी वैश्विक रणनीति के चरम पर होगा.


सभी एक साथ: तो अभी हम क्या करें?
रंगा सियार: इच्छाशक्ति दृढ़ कीजिए.

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